Sunday, April 14, 2019

दुनिया के नियम

मुझे लौटा दो मेरा बचपन,
जहाँ  महसूस होता था एक अपनापन,
बिना चिंता के काम किया करती थी,
क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी |
बड़ी होकर दुनिया के नियम है नज़र आते,
रिश्ते तक खोखले है ये बनाते,
काम रहने तक साथ है निभाते,
और काम हो जाने के बाद गायब ये हो जाते |

                                                                   - प्रीती द्विवेदी 

अम्मा

अम्मा

एक शिशु के रूप में आई थी,
तेरी कोख में समाई थी,
इस दुनिया में जब आई थी,
तेरी गोद ही मुझे भाई थी,
प्यारा सा एक नाम दिया,
सम्मान दिया वो प्यार दिया,
सारा वक्त मेरे नाम किया,
अपना जीवन मुझ पर वार दिया।
अम्मा तेरी हर बात मुझे वरदान से बढ़कर लगती है,
मां तेरी सूरत भी भगवान से बढ़कर लगती है ।

                                       - प्रीती द्विवेदी
                  

मुस्कान

ऊपर से हंसती हूं तो क्या,अंदर से टूट चुकी हूं।
तेरे खातिर मैं अपना सब कुछ भूल चुकी हूं।
     
                                                    - प्रीती द्विवेदी

कोई कहता है

कोई कहता है...

कोई कहता है प्यार बड़ा है,
कोई कहता है याराना,
कोई कहता सम्मान बड़ा है,
कोई कहता नजराना,
कोई कहता मां-बाप बड़े है,
कोई कहता धन- दौलत,
कोई कहता समाज बड़ा है,
कोई कहता जमाना,
इन सबकी बातें सुन कर
लगा सकती हूं मैं ये अंदाजा,
जग में किसका स्थान बड़ा है,
ये किसी ने न जाना ।

                             - प्रीती द्विवेदी 

Friday, April 12, 2019

एक मुकाम चाहती हूं ।

एक मुकाम चाहती हूं

अपना एक मुकाम चाहती हूं,
दुसरो के लिए नहीं,
खुद अपने लिए जीना चाहते हूं।
यहां कोई किसी के काम नहीं आते,
स्वार्थ बस सब रिश्ता निभाते।
जीवन में कुछ ऐसा बनना है,
क्योंकि दुसरों की नहीं,
खुद की सुनना हैं।

                       - प्रीती द्विवेदी

Kho-kho match 🏃


SaktiMaan 💃


Saturday, April 6, 2019

Puppet 😊


पिंजरे की कैद में...

पिंजरे की कैद में...

चली हूं लोगों को रिझाने,
पिंजरे की कैद में,
यहां सब पर भरोसा है मुझे,
पर मुझ पर नहीं किसी को,
इसलिए तो हूं मैं,
पिंजरे की कैद में ।
           
                     - प्रीती द्विवेदी


बस अब नहीं

बस अब नहीं...

ऐ वक्त ले चल कहीं,
जहां कोई सीमा न हो,
न हो कोई पाबंदी,
ले चल मुझे वहीं।।
                 
                - प्रीती द्विवेदी

दुनिया के नियम

मुझे लौटा दो मेरा बचपन, जहाँ  महसूस होता था एक अपनापन, बिना चिंता के काम किया करती थी, क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी | बड़ी होकर...