मुझे लौटा दो मेरा बचपन,
जहाँ महसूस होता था एक अपनापन,
बिना चिंता के काम किया करती थी,
क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी |
बड़ी होकर दुनिया के नियम है नज़र आते,
रिश्ते तक खोखले है ये बनाते,
काम रहने तक साथ है निभाते,
और काम हो जाने के बाद गायब ये हो जाते |
- प्रीती द्विवेदी
जहाँ महसूस होता था एक अपनापन,
बिना चिंता के काम किया करती थी,
क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी |
बड़ी होकर दुनिया के नियम है नज़र आते,
रिश्ते तक खोखले है ये बनाते,
काम रहने तक साथ है निभाते,
और काम हो जाने के बाद गायब ये हो जाते |
- प्रीती द्विवेदी