अब उस जमाने से निकल कर, कहीं दूर जाना चाहती हूं। अपने हिसाब से एक नया जमाना बनाना चाहती हूं, क्योंकि वास्तव में मैं परिवर्तन चाहती हूं। - प्रीती_द्विवेदी
Saturday, January 26, 2019
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
दुनिया के नियम
मुझे लौटा दो मेरा बचपन, जहाँ महसूस होता था एक अपनापन, बिना चिंता के काम किया करती थी, क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी | बड़ी होकर...
-
मुझे लौटा दो मेरा बचपन, जहाँ महसूस होता था एक अपनापन, बिना चिंता के काम किया करती थी, क्योंकि माँ-बाप पर निर्भर रहा करती थी | बड़ी होकर...
-
ऊपर से हंसती हूं तो क्या,अंदर से टूट चुकी हूं। तेरे खातिर मैं अपना सब कुछ भूल चुकी हूं। ...
-
अम्मा एक शिशु के रूप में आई थी, तेरी कोख में समाई थी, इस दुनिया में जब आई थी, तेरी गोद ही मुझे भाई थी, प्यारा सा एक नाम दिया, सम्मान...
No comments:
Post a Comment