पिंजरे की कैद में...
चली हूं लोगों को रिझाने,
पिंजरे की कैद में,
यहां सब पर भरोसा है मुझे,
पर मुझ पर नहीं किसी को,
इसलिए तो हूं मैं,
पिंजरे की कैद में ।
- प्रीती द्विवेदी
चली हूं लोगों को रिझाने,
पिंजरे की कैद में,
यहां सब पर भरोसा है मुझे,
पर मुझ पर नहीं किसी को,
इसलिए तो हूं मैं,
पिंजरे की कैद में ।
- प्रीती द्विवेदी
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